
कई बार ठगे जा चुके रानीखेत वासियों ने एक बार फिर रानीखेत जिले की मांग को लेकर हाथो में उठायी मशाल, 2011 में घोषित चार जिलों को अस्तित्व में लाने की मांग।
रानीखेत जिले की मांग को लेकर आज 7 नवंबर की शाम रानीखेत में एक मशाल जुलुस का आयोजन किया गया। जुलुस सुभाष चौक से शुरू होकर गांधी चौक – सदर बाजार से निकला। इस दौरान लोगो, ने आज दो अभी दो – रानीखेत जिला दो और 4 घोषित जिलों की घोषणा करो जैसे नारे लगाए। गैर राजनितिक रूप से शुरू हुए इस जुलुस में भाजपा कांग्रेस और ukd सभी दलों के लोगों ने प्रतिभाग किया।

आज इस जुलुस से एक दिन पहले 6 नवंबर को , स्थानीय निवासियों ने रानीखेत विकास समिति के बैनर तले एक ज्ञापन मुख्यमंत्री को भेजकर रानीखेत को जिला बनाने की मांग की थी और राज्य स्थापना दिवस पर 2011 में तत्कालीन भाजपा सर्कार के मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक द्वारा घोषित चरों जिलों को अस्तित्व में लाने की मांग की थी।

यहाँ हम आपको बता दें कि रानीखेत जिले की सबसे पहले 1954 में उठायी गयी थी। इसके बाद ये मांग हमेशा ही रानीखेत में सियासी डाव पेंचों में उलझी रही लेकिन वर्ष1984, वर्ष 1993 व 1995 तथा 2011 में जिले की मांग को लेकर बड़े आंदोलन हो चुके हैं। वर्ष 2011 में ही अधिवक्ता संघ के बैनर तले लगभग 7 माह का आंदोलन किया गया था। जिसके बाद 15 अगस्त 2011 को निशंक सरकार ने उत्तराखंड में 4 नए जिलों रानीखेत, डीडीहाट, कोटद्वार और यमुनोत्री की घोषणा की थी। लेकिन ये रानीखेत का दुर्भाग्य ही था की इसके तुरंत बाद निशंक को मुख्यमंत्री पद से हाथ धोना पड़ा और भुवन खंडूरी सरकार ने इस मामले को ठन्डे बस्ते में डाल दिया। इसके बाद हरीश रावत सरकार ने भी चित्त है पर वित्त नहीं जैसे बयान देकर मामले को उलझाए रखा।


